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Tuesday 22 January 2013

रेल संचालन में कोहरे की समस्या का समाधान


हर साल हम यह देखते हैं कि जैसे ही सर्दी जोर की पड़ने लगती है और कोहरा नजर आने लगता है, वैसे ही रेलों की रफ्तार थम जाती है और गाडि़याँ न केवल घंटों देरी से चलती और पहुँचती हैं, बल्कि बहुत सी गाडि़यों को इसी कारण रद्द भी कर दिया जाता है। इसका कारण यह बताया जाता है कि कोहरे के कारण रेल के ड्राइवरों को सिग्नल दूर से दिखाई नहीं देते, इसलिए वे धीमे गाड़ी चलाते हैं, ताकि गलती से लाल सिग्नल पार कर जाने पर उन्हें दंड न भुगतना पड़े। इस समस्या का एक सरल और स्थायी समाधान है, जिसको अपनाकर मामूली खर्च में कोहरे के कारण रेलगाडि़यों की गति धीमी होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

मेरा सुझाव है कि हर मुख्य सिग्नल से लगभग 250 या 300 मीटर या किसी गाड़ी को साधारण ब्रेक लगाकर रोकने के लिए जितनी भी दूरी आवश्यक हो उतना पहले एक अग्रिम सिग्नल लगाया जाए। इसमें केवल एक बत्ती होगी, वह भी जलती-बुझती हुई, जैसी कि ट्रैफिक सिग्नलों में होती है। यह अग्रिम सिग्नल उसी तार से जुड़ा होगा, जिससे मुख्य सिग्नल जुड़ा रहता है। इसका रंग भी मुख्य सिग्नल जैसा ही होगा यानी मुख्य सिग्नल लाल होने पर लाल और हरा होने पर हरा। ऐसा सिग्नल 5-10 मीटर दूर से अवश्य दिखाई पड़ जायेगा, चाहे कितना भी कोहरा पड़ रहा हो। यह उपाय दिन और रात हर समय काम करेगा। 

जब कोहरे में आती हुई रेलगाड़ी का ड्राइवर अग्रिम सिग्नल के पास आने पर उसको जलता-बुझता देखेगा, तो समझ लेगा कि यह अग्रिम सिग्नल है। यदि उसका रंग हरा होगा, तो वह समझ लेगा कि मुख्य सिग्नल भी हरा है, इसलिए वह अपनी सामान्य रफ्तार से चलता जाएगा। अगर अग्रिम सिग्नल का रंग लाल होगा, तो ड्राइवर समझ जाएगा कि मुख्य सिग्नल भी लाल है, इसलिए वह तुरन्त ब्रेक लगा देगा और मुख्य सिग्नल तक पहुँचते-पहुँचते गाड़ी रुक जाएगी।

अग्रिम सिग्नल लगाने में हर स्टेशन के दोनों ओर केवल एक-एक खम्भा गाड़ना होगा, उन पर एक-एक जलने-बुझने वाली बत्ती लगानी होगी और कुल मिलाकर लगभग 500 मीटर तार जमीन में डालना होगा। कोहरे की विकट समस्या के समाधान के लिए यह खर्च बहुत मामूली है। यह कार्य केवल एक दिन में किया जा सकता है। जब सर्दी निकल जायें और कोहरा पड़ना बन्द हो जाए, तो अग्रिम सिग्नलों को ऑफ किया जा सकता है, ताकि फालतू बिजली खर्च न हो।

आशा है कि रेलवे के उच्च अधिकारी इस सुझाव पर ध्यान देंगे।

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