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Monday 21 January 2013

क्या नेहरू-गाँधी-मैनो परिवार देशभक्त है?

मैंने अपने एक ब्लाॅग में एक टिप्पणी के जबाब में नेहरू-गाँधी-मैनो परिवार को देशद्रोही लिखा था, इसके विरोध में एक ब्लाॅगर बकेला ने बहुत जहर उगला है। उनसे एक पाठक ने पूछा था कि आप इस परिवार को देशभक्त साबित कीजिए। इसके जबाब में बकेला ने इस परिवार को देश भक्त साबित करने के लिए पाँच कारण बताये हैं- 1. आपात्काल लगाना, 2. जनसंख्या नियंत्रण करना, 3. बैंकों का राष्ट्रीयकरण करना, 4. राजाओं का प्रिवीपर्स समाप्त करना और 5. पाकिस्तान के टुकड़े करना। आइए, इन कारणों की जाँच-पड़ताल करें।

1. आपात्काल लगाना- इन्दिरा गाँधी ने आपात्काल केवल अपनी कुर्सी बचाने के लिए लगाया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्ट आचरणों के कारण उनका चुनाव रद्द कर दिया था, जिससे उनकी कुर्सी पर खतरा उत्पन्न हो गया था। आपात्काल लगाकर उन्होंने सभी विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में बन्द कर दिया, हजारों कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न किया, पे्रस पर सेंसरशिप लगा दी और अनेक प्रकार से अपनी तानाशाही प्रवृत्ति का परिचय दिया। यदि यही देशभक्ति है, तो बकेलाओं को मुबारक हो।

2. जनसंख्या नियंत्रण करना- आपात्काल में इन्दिरा गाँधी ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए नसबन्दी कार्यक्रम जरूर चलाया था, लेकिन वह बहुत गलत तरीके से चलाया गया, जिससे जनता में क्षोभ उत्पन्न हुआ। कई स्थानों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया और गोलियाँ तक चलायीं। यदि इसका उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण था, तो बाद में अपनी सरकार बनने पर इन्दिरा गाँधी ने क्यों नहीं चलाया? बाद में कभी किसी ने नसबन्दी का नाम नहीं लिया। इससे स्पष्ट है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल झूठी वाहवाही लूटना था। अगर जनसंख्या नियंत्रण ही करना था तो बंगलादेशी घुसपैठियों को क्यों आने दिया और उनको बाहर क्यों नहीं निकाला। वास्तव में कांग्रेस ही इनको बुलाती है और उनका वोटर कार्ड बनवाकर घोर देशद्रोही कार्य करती है।

3. बैंकों का राष्ट्रीयकरण करना- यह भी झूठी वाहवाही लूटने के लिए किया गया था। राष्ट्रीयकरण से जनता को जो लाभ होना चाहिए था वह नहीं हुआ। इसके विपरीत बैंकों में जमा धन गलत लोगों द्वारा ऋणों के रूप में हड़प लिया गया, जिससे बैंकों में एन.पी.ए. की भयावह समस्या उत्पन्न हो गयी। यदि इसका उद्देश्य आम जनता को बैंकिंग का लाभ पहुँचाना होता, तो उस समय भी स्टेट बैंक सरकारी था, उसकी गाँव-गाँव में शाखायें खोलकर यह कार्य किया जा सकता था। राष्ट्रीयकरण असफल रहा, यह इससे भी सिद्ध है कि आगे चलकर विदेशी और प्राइवेट बैंकों को अनुमति देनी पड़ी। आज भी देश में ऐसे बैंकों की हजारों शाखाएँ कार्य कर रही हैं।

4. राजाओं का प्रिवीपर्स समाप्त करना- यह भी स्वयं को समाजवादी दिखाने का झूठा प्रयास था। पुराने राजाओं को धन देना अवश्य बन्द कर दिया, लेकिन उसके बाद मंत्रियों के रूप में जो नये राजा-महाराजा बने उन्होंने इससे सैकड़ों-हजारों गुना धन लूटा, जिनमें स्वयं गाँधी-मैनो परिवार शामिल है। आज भी उनके पास अरबों-खरबों की सम्पत्ति है, जिसका कोई स्रोत किसी को नहीं बताया जाता। इसके अलावा इस परिवार के ऊपर आज भी देश की गरीब जनता का लाखों रुपया प्रतिदिन खर्च होता है, जिसका कोई हिसाब नहीं दिया जाता। सोनिया की बीमारी के नाम पर विदेशों में मौज की जाती है, परन्तु देश को यह नहीं बताया जाता कि उनको बीमारी क्या है और उनका इलाज कहाँ किया जा रहा है।

5. पाकिस्तान के टुकड़े करना- यह कार्य बंगलादेश के लोगों ने स्वयं किया था। भारत की सेनाओं ने अपना बलिदान  देकर उनकी सहायता की थी। परन्तु इन्दिरा गाँधी ने शिमला समझौते में लाखों पाकिस्तान युद्धबंदियों को छोड़ दिया और उसके बदले में देश को कुछ नहीं मिला। यह एक देशद्रोहितापूर्ण समझौता था। नेहरू ने 1947 के युद्ध में भारत की आगे बढ़ती हुई सेनाओं को रोक लिया था, अन्यथा लाहौर पर हमारा कब्जा हो जाता और कश्मीर की समस्या भी बहुत हद तक हल हो जाती।

इस विश्लेषण से स्पष्ट है कि बकेला ने इस देशद्रोही परिवार को देशभक्त मानने के जो कारण बताये हैं वे सब गलत हैं। यह परिवार देशद्रोही था, है और रहेगा। इससे देश को जितनी जल्दी मुक्ति मिले, उतना ही देश के हित में है।

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