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Monday, 21 January 2013

आत्म कथा भाग -1 : मुर्गे की तीसरी टांग


'मुर्गे की तीसरी टाँग' उर्फ 'सुबह का सफ़र'

यह शीर्षक है मेरी आत्म-कथा के पहले भाग का. इसमें मेरे विद्यार्थी जीवन की पूरी कहानी है. आपने अभी तक बड़े-बड़े महापुरुषों की आत्म-कथा पढ़ी होंगी, पर किसी विद्यार्थी की आत्म-कथा शायद ही पढ़ी हो. आप मेरी इस आत्म-कथा को पढ़िए, तो आपको आनंद आएगा. इसमें मैने बहुत रोचक भाषा में अपने विद्यार्थी जीवन के संघर्षो और उपलब्धियों की कहानी लिखी है.

यह पुस्तक पीडीएफ फॉर्मॅट में उपलब्ध है. इसे मंगाने के लिए अपना ईमेल पता भेजिए. मेरा ईमेल पता ये है-
vijayks@rediffmail.com

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