श्री गणेशाय नमः.
आज मैंने अपना नया ब्लॉग शुरू किया है. कोई भी शुभ कार्य प्रभु का नाम लेकर प्रारंभ करना प्राचीन भारतीय परम्परा है. इसीलिए परम्परा के अनुसार मैंने गणेशजी का नाम लिया है. इससे आप यह न समझें कि मैं कोई कट्टर सनातनी हिन्दू हूँ. वास्तव में तो मैं आर्यसमाज द्वारा प्रतिपादित वैदिक धर्म का अनुयायी हूँ. लेकिन परम्पराओं का सम्मान भी करता हूँ.
जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, इसमें मैं अपने खट्ठे, मीठे, तीखे और चिरपिरे विचारों को प्रकट करूंगा. संभव है कि मेरी किसी बात से आपको झटका लगे. आपकी आलोचनाओं का मैं स्वागत करूंगा, लेकिन वह स्वस्थ होनी चाहिए. यदि आप मेरे लेखन में कोई तथ्यात्मक भूल बताने कि कृपा करेंगे, तो मैं उसे तत्काल सुधार लूँगा. लेकिन अपने विचारों और निष्कर्षों को बदलने के लिए तब तक तैयार नहीं हूँ, जब तक वैसा करने का कोई पर्याप्त कारण न हो.
आवश्यकता के अनुसार मैं आलोचनाएँ भी करूंगा. क्योंकि "संग्रह त्याग न बिनु पहिचाने " अर्थात् जब तक गुण दोषों का ज्ञान न हो, तब तक गुणों का ग्रहण और दोषों का त्याग नहीं किया जा सकता.
तो मित्रो, दिल थामकर तैयार हो जाइये मेरी खट्ठी-मीठी बातों का स्वाद चखने के लिए.
आज मैंने अपना नया ब्लॉग शुरू किया है. कोई भी शुभ कार्य प्रभु का नाम लेकर प्रारंभ करना प्राचीन भारतीय परम्परा है. इसीलिए परम्परा के अनुसार मैंने गणेशजी का नाम लिया है. इससे आप यह न समझें कि मैं कोई कट्टर सनातनी हिन्दू हूँ. वास्तव में तो मैं आर्यसमाज द्वारा प्रतिपादित वैदिक धर्म का अनुयायी हूँ. लेकिन परम्पराओं का सम्मान भी करता हूँ.
जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, इसमें मैं अपने खट्ठे, मीठे, तीखे और चिरपिरे विचारों को प्रकट करूंगा. संभव है कि मेरी किसी बात से आपको झटका लगे. आपकी आलोचनाओं का मैं स्वागत करूंगा, लेकिन वह स्वस्थ होनी चाहिए. यदि आप मेरे लेखन में कोई तथ्यात्मक भूल बताने कि कृपा करेंगे, तो मैं उसे तत्काल सुधार लूँगा. लेकिन अपने विचारों और निष्कर्षों को बदलने के लिए तब तक तैयार नहीं हूँ, जब तक वैसा करने का कोई पर्याप्त कारण न हो.
आवश्यकता के अनुसार मैं आलोचनाएँ भी करूंगा. क्योंकि "संग्रह त्याग न बिनु पहिचाने " अर्थात् जब तक गुण दोषों का ज्ञान न हो, तब तक गुणों का ग्रहण और दोषों का त्याग नहीं किया जा सकता.
तो मित्रो, दिल थामकर तैयार हो जाइये मेरी खट्ठी-मीठी बातों का स्वाद चखने के लिए.