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Thursday 12 May 2016

नाभि टलने का सरल उपचार

कई बार किसी किसी की नाभि अपनी जगह से हट जाती है जिसे नाभि टलना कहते हैं। जब वह ऊपर की ओर टलती है तो कब्ज, पेट दर्द, बेचैनी आदि होती है और जब वह नीचे की ओर टलती है तो पेट दर्द के साथ दस्त हो जाते हैं। इन दोनों का एक ही सरल उपचार है जिससे मिनटों में बिना किसी दवा के नाभि को सही स्थान पर बैठाया जा सकता है।
सबसे पहले रोगी को ज़मीन पर कोई दरी या चादर बिछाकर पेट के बल लिटा दीजिए। उसके हाथों को सामने इस तरह रखवाइए कि उस पर सिर सीधा टिक जाये और नाक ज़मीन से न टकराये। अब रोगी के बग़ल में इस तरह खड़े हो जाइये कि उसके पैर आपके दायें हाथ ओर रहें।
अब अपना बायाँ पैर रोगी की कमर पर रखिए और ंदायें हाथ से उसका एक पैर उठाइए। पैर से रोगी की कमर को दबाये रखकरश रोगी के पैर को पीछे की ओर दबाइए। पैर लम्बा रखना चाहिए। ऐसा दो तीन बार कीजिए। इसी तरह दूसरे पैर को उठाकर पीछे दबाइए। अंत में दोनों पैरों को एक साथ उठाकर पीछे की ओर दबाइए।
अब रोगी को चित लिटा दीजिए। ऐसा करने से थोडी देर में ही नाभि अपने सही स्थान पर आ जाएगी।
यदि आपकी अपनी नाभि टल गयी है तो भुजंगासन और धनुरासन बारी बारी से कीजिए।
नाभि टलने की पहचान
इससे या तो बहुत तेज़ पतले दस्त होते हैं या पेट में बहुत भयंकर दर्द अचानक होने लगता है। अगर गैस नहीं है तो अवश्य ही नाभि टल गयी होती है।
नाभि के ऊपर अगर हम हाथ का अंगूठा हल्का दबा कर देखेगें तो हमे धडकन के धडकने जैसा महसूस होगा। मगर नाभि टलने पर ये महसूस नही होगा। एवं नाभि जिस तरफ जगह छोडकर गयी है उस जगह पर वही धडकन के जैसा महसूस होगा।
ये भी नाभि टलने का पता लगाने का एक तरीक़ा है।
विजय कुमार सिंघल
वैशाख शु. ५, सं २०७३ वि

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