Pages

Thursday 12 May 2016

गुर्दे तथा मूत्र रोगों का प्रमुख कारण

मेरे पास चिकित्सा परामर्श के लिए जो मामले आते हैं उनमें बड़ी संख्या ऐसे मामलों की है जिनका संबंध गुर्दों और मूत्राशय की बीमारियों से होता है, जैसे गुर्दे या मूत्राशय में पथरी, पेशाब नली में रुकावट या सूजन, पेशाब सही न आना, दर्द या संक्रमण होना, मूत्रांग में जलन होना, मूत्र में पस या खून आना आदि आदि। मेरी जानकारी में ऐसे लोगों को भी ये शिकायतें हुई हैं जिनका आहार विहार सात्विक है और जिन्हें कोई व्यसन भी नहीं है।
जब मैंने इनके कारणों पर विचार किया तो मेरी समझ में आया कि इन शिकायतों का मुख्य कारण तीन ग़लतियाँ हैं जो हम लोग जाने-अनजाने करते रहते हैं। इन ग़लतियों का कुप्रभाव जल्दी नज़र नहीं आता, परंतु होता जरूर है। मैं यहाँ इन ग़लतियों की चर्चा करना चाहता हूँ।
पहली ग़लती जो हम लोग करते हैं वह है पानी कम पीना। लोग प्राय: पानी पीना भूल जाते हैं और बहुत प्यास लगने पर ही पानी पीते हैं। कई लोग जानबूझकर पानी इसलिए कम पीते हैं कि उन्हें टॉयलेट न जाना पड़े। यह बहुत बड़ी ग़लती है जिसका कुपरिणाम आगे चलकर भुगतना पड़ता है।
टॉयलेट जाने में शर्माने का कोई कारण नहीं है। जितनी बार पानी पीते हैं उतनी बार टॉयलेट जाना पड़े तो भी उचित है। इसलिए हमें जाड़ों में प्रतिदिन कम से कम तीन लीटर और गर्मियों में चार लीटर पानी अवश्य पी लेना चाहिए। शीतल पेय, चाय आदि पानी का विकल्प नहीं हैं। इनसे हमारे गुर्दों पर बोझ बहुत बढ़ जाता है।
दूसरी ग़लती जो हम लोग करते हैं वह है मूत्र के वेग को रोकना। यदि आसपास टॉयलेट न हो तो कुछ समय तक इसे रोकने का कारण समझ में आता है परंतु सामान्य स्थिति में पेशाब रोकने का कोई कारण नहीं है। आयुर्वेद में कहा गया है कि मल, मूत्र, छींक, जँभाई आदि तेरह प्रकार के वेगों को कभी रोकना नहीं चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। मूत्र के वेग को रोकने पर मूत्राशय पर बहुत दबाव पड़ता है और गुर्दों का कार्य भी बाधित होता है। इसलिए ऐसी ग़लती कभी नहीं करनी चाहिए।
तीसरी ग़लती जो अधिकांश लोग करते हैं वह है मूत्र विसर्जन करते समय ज़ोर लगाना। लोग अपना समय बचाने के लिए ऐसा करते हैं परंतु इसके बदले में उन्हें कई गुना समय उन रोगों को देना पड़ता है जो इसके कारण उत्पन्न हो जाते हैं। पेशाब नली में सूजन आना, जलन होना, पथरी बन जाना, मूत्र में पस आना आदि इन्हीं कारणों से होता है। इसलिए भूलकर भी मूत्र विसर्जन करते समय बिल्कुल ज़ोर मत लगाइए और मूत्र को अपने आप निकलने दीजिए, भले ही इसमें एक मिनट अधिक लग जाये।
यदि आप इन तीनों ग़लतियों से बचे रहेंगे तो गुर्दे और मूत्राशय की ही नहीं, बल्कि और भी बहुत सी बीमारियों से बचे रहेंगे। इतना ही नहीं, यदि ये बीमारियाँ हो गयी हों तो इन ग़लतियों को सुधारकर उनसे सरलता से छुटकारा भी पा सकेंगे।
विजय कुमार सिंघल
वैशाख कृ. १५, सं. २०७३ वि.

No comments:

Post a Comment