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Sunday 22 May 2016

मैं दवायें क्यों बंद कराता हूँ?

कई मित्र मुझसे पूछते हैं कि जब मैं किसी को किसी बीमारी के लिए प्राकृतिक चिकित्सा कार्यक्रम बताता हूँ तो सारी दवायें, विशेष रूप से अंग्रेज़ी दवायें, क्यों बंद करा देता हूँ। यहाँ मैं इसका स्पष्टीकरण दे रहा हूँ।
प्राकृतिक चिकित्सा के साथ सभी दवायें बंद कराने के तीन कारण हैं।
पहला कारण यह है कि दवायें वास्तव में लगभग बेकार होती हैं। वे किसी रोग को ठीक नहीं करतीं बल्कि कुछ लक्षणों को कुछ समय के लिए दबा देती हैं। उदाहरण के लिए, उच्च रक्तचाप और डायबिटीज़ की दवायें केवल इनको बढ़ने से रोक देती हैं, इनको ठीक नहीं करतीं। दवाओं से रोगी को कोई लाभ नहीं होता बल्कि हानि ही होती है। अगर लाभ हो रहा होता तो वे मुझसे चिकित्सा पूछते ही नहीं। इसलिए वे दवायें बंद करना आवश्यक है।
दूसरा कारण यह है कि ये दवायें चिकित्सा कार्य में बाधा डालती हैं। प्राकृतिक चिकित्सा का मौलिक सिद्धांत शरीर की भीतरी सफाई करना है, जबकि दवायें गंदगी बढ़ाती हैं। अगर दवायें साथ-साथ ली जायेंगी तो प्राकृतिक चिकित्सा से पूरा लाभ नहीं होगा और कई बार हानि भी हो सकती है।
तीसरा और सबसे अधिक महत्वपूर्ण कारण यह है कि यदि दवाओं के साथ प्राकृतिक चिकित्सा कराने पर लाभ होता है तो मूर्ख रोगी उसका श्रेय दवाओं को देते हैं न कि प्राकृतिक चिकित्सा को। इतना ही नहीं, यदि चिकित्सा से कोई लाभ नहीं होता या हानि होती है तो वे लोग उसका दोष भी प्राकृतिक चिकित्सा पर डाल देते हैं। ऐसा मेरे साथ दो-तीन बार हो चुका है।
इन सब कारणों से मैं किसी को चिकित्सा बताने से पहले सभी दवायें बंद करने की शर्त लगा देता हूँ, अन्यथा कोई सलाह नहीं देता। यह जरूर है कि कई बार दवायें एकदम बंद कराने के बजाय धीरे-धीरे कम करते हुए अधिकतम एक माह में बंद कराता हूँ। लेकिन बंद कराता जरूर हूँ।
विजय कुमार सिंघल
वैशाख शु. १३, सं. २०७३ वि.

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