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Friday 25 March 2016

अस्थमा

अस्थमा (दमा) की समस्या वास्तव में जुकाम खाँसी आदि से निकलने वाले कफ या बलगम को दवाओं द्वारा रोक देने का परिणाम होती है। जबर्दस्ती रोका गया वह कफ फेंफडों में जम जाता है और साँस लेने में बाधा डालता है। इसी को दमा कहा जाता है।
अत: दमा का उपचार यही है कि फेंफडों में जमे हुए कफ को निकाला जाये और बाहर से कफ का आना रोक दिया जाये।
इसके लिए सबसे पहले तो कफ कारक वस्तुओं का सेवन बंद या बहुत कम कर दिया जाये। दूध और दूध से बनी वस्तुएँ, सभी तरह की मिठाई, पालिश किये हुए चावल, चोकर निकला आटा, मैदा आदि कफ पैदा करते हैं। इनकी जगह चोकर सहित आटा, हाथ से कुटे चावल, फल और हरी सब्ज़ियों का सेवन करना चाहिए।
फेंफडों की सफाई के लिए पर्याप्त शारीरिक श्रम या व्यायाम करने चाहिए जिससे पसीना आ जाये। साथ में धीरे-धीरे बढ़ाते हुए प्रतिदिन कम से कम १० मिनट भस्त्रिका प्राणायाम अवश्य करना चाहिए।
अस्थमा पूरी तरह ठीक होने में काफी समय लगता है इसलिए धैर्यपूर्वक प्रयास करते रहना चाहिए।
-- विजय कुमार सिंघल

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