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Sunday 20 March 2016

नभाटा ब्लाॅग पर मेरे दो वर्ष-3

मैंने अगला लेख लिखा था ‘हिंदू मुस्लिम एकता का दिवा स्वप्न’। इसका लिंक अपने दूसरे ब्लाॅग से दे रहा हूँ क्योंकि उसमें यह लेख पूरा है। 
यहां यह स्पष्ट कर दूं कि मैं अपने लेखों की एक प्रति अपने अन्य ब्लाॅग पर लगाता था, जो ब्लाॅग स्पाॅट पर खट्ठा-मीठा नाम से ही खोला था। हालांकि उस पर अधिक लोग नहीं आते थे, लेकिन लेखों का संदर्भ लेने और उनको सुरक्षित रखने के लिए यह ब्लाॅग बहुत उपयोगी था।
उक्त लेख को नभाटा ने कई दिन तक लाइव नहीं किया, जबकि दूसरों के दो-दो लेख लाइव हो गये थे। तो मैंने नभाटा को लिखा कि इसको लाइव करें। उत्तर में उन्होंने बताया कि कई लोगों ने इस लेख की कुछ पंक्तियों पर आपत्ति की है, इसलिए इसे लाइव नहीं किया जा रहा है। मैंने उत्तर दिया कि किसको किन पंक्तियों पर आपत्ति है मु्झे बतायें ताकि लेख को सुधारकर लगाया जा सके। इसका मुझे कोई उत्तर नहीं मिला और लगभग 7 दिन बाद सम्पादक मंडल ने स्वयं ही लेख को सुधारकर तथा शीर्षक बदलकर लाइव कर दिया। उसका लिंक नीचे है। नया शीर्षक था- "खिलाफत आन्दोलन और गाँधी"
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/…/%E0%A4%9…
दोनों लेखों की तुलना करके आप देख सकते हैं कि नभाटा के सम्पादक मंडल ने किस तरह मेरे लेख की मजबूत पंक्तियों पर चाकू चलाया है। खैर, ब्लाॅग जारी रखने के लिए मैं इसको सहन कर गया।
मेरे इस लेख पर गिने-चुने कमेंट ही आये और मुसलमान पाठक इससे दूर ही रहे, क्योंकि उनके पास कहने को कुछ था ही नहीं।
विजय कुमार सिंघल

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