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Sunday 20 March 2016

तनावमुक्त होने के उपाय

अपने एक लेख में मैंने बताया था तनावग्रस्त रहने से कोई समस्या हल नहीं होती, बल्कि नई समस्याएं पैदा हो जाती हैं। कई सज्जनों ने इस पर सहमति व्यक्त करते हुए पूछा है कि तनावमुक्त रहने का क्या उपाय है। उनकी जिज्ञासा को शान्त करने के लिए यहां मैं तनावमुक्त रहने के अनुभवजन्य उपाय बता रहा हूं।
सबसे पहले तो यह समझ लेना चाहिए कि तनावग्रस्त रहना एक मानसिक बीमारी है और इसका उपचार मानसिक उपायों से ही किया जा सकता है। ऐसी कोई दवा, गोली, कैप्सूल, काढ़ा नहीं होता कि आप उसे खा लें और तनावमुक्त हो जायें। तनावमुक्त होने के लिए अपने तनाव या चिंता के कारणों को दूर करना चाहिए।
हमें तनाव या चिंता प्रायः किसी समस्या के कारण होती है। हालांकि कुछ ऐसे भावुक लोग भी होते हैं जो किसी के द्वारा एक शब्द या वाक्य गलत या अवांछनीय बोल देने पर ही तनावग्रस्त हो जाते हैं। ऐसी भावुकता उचित नहीं। अगर किसी ने आपके प्रति कोई गलत कार्य किया है या गलत बोला है, तो उसके प्रभाव से निपटने के दो तरीके हैं- या तो आप उसको उपेक्षित कर दें, या फिर उसकी ईंट का जबाब पत्थर से दें। इनमें से पहला तरीका ही सबसे अधिक सुरक्षित है। यदि किसी के गलत कार्य या वाक्य से आपको सीधे कोई हानि नहीं हो रही है, तो उसको मूर्खता मानकर उपेक्षित कर देना चाहिए। ऐसा करने से आप तत्काल तनावमुक्त हो जायेंगे।
दूसरा तरीका, ईंट का जबाब पत्थर से देने का भी है। इसको प्रायः तभी काम में लिया जाना चाहिए, जब आपको प्रत्यक्ष हानि हो तथा उसका उचित उत्तर दिये बिना काम न चल रहा हो। ऐसा करने से पहले अपनी शक्ति का आकलन अवश्य कर लेना चाहिए, क्योंकि ईंट का उत्तर पत्थर से देने पर अनेक नई समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिनसे नये तनाव उत्पन्न हो सकते हैं।
यदि हमें तनाव या चिंता अपनी ही किसी वर्तमान समस्या के कारण है, तो उस समस्या का समाधान हुए बिना हम तनावमुक्त नहीं हो सकते। इसलिए सबसे पहले हमें उस समस्या का समाधान खोजना चाहिए। किसी समस्या का समाधान उसकी चिंता करने से नहीं बल्कि उसके बारे में चिंतन करने से हो सकता है कि इसका क्या समाधान किया जाये।
किसी समस्या को किस प्रकार हल किया जाये, यह एक अलग विषय है। इसके बारे में अलग से लिखूंगा। यहां इतना ही समझ लीजिए कि यदि किसी समस्या का समाधान सम्भव है तो हमें अपनी शक्ति भर उसका समाधान करना चाहिए और यदि उस समस्या का समाधान सम्भव ही नहीं है, तो उसे वास्तविकता या नियति मानकर संतोष कर लेना चाहिए।
तनावमुक्त रहने के दो अन्य सरल उपाय भी हैं- एक, अपने ऊपर विश्वास रखना और दो, अपने आराध्य प्रभु के ऊपर विश्वास रखना। बहुत से लोगों को अपने ऊपर विश्वास नहीं होता, इसलिए कोई जरा सी समस्या आ जाने पर या उसका संकेत मात्र मिलने पर ही तनावग्रस्त हो जाते हैं और हाय-हाय करने लगते हैं। ऐसा करना स्पष्ट रूप से मूर्खता है। हमें अपने ऊपर कम से कम इतना विश्वास अवश्य होना चाहिए कि कोई समस्या या संकट आने पर हम उसका अपनी शक्ति भर मुकाबला करेंगे। जिनको अपने ऊपर इतना विश्वास होता है, वे कभी तनावग्रस्त हो ही नहीं सकते।
लेकिन बहुत सी ऐसी समस्याएं होती हैं, जिनसे निपटने में हमारी अपनी शक्ति सफल नहीं रहती। ऐसी स्थिति में हमें अपने आराध्य देव पर विश्वास रखना चाहिए कि कोई भयंकर संकट आने पर वह निश्चय ही हमें उस संकट से निकलने का मार्ग दिखायेगा। ऐसा विश्वास बहुत से संकटों से हमारी रक्षा करता है और तनावग्रस्त होने से रोकता है।
कैसी बिडम्बना है कि हम स्वयं को आस्तिक कहते हैं और अपने दैनिक जीवन का काफी समय पूजा-पाठ और मंदिरों में लगाते हैं, लेकिन जरा सा संकट या समस्या आ जाने पर ही घबड़ा जाते हैं और अपने भाग्य या ईश्वर को ही दोष देने लगते हैं। ऐसी मानसिकता बहुत हानिकारक हैं। यदि हम अपने आराध्य को मानते हैं तो यह भी मानना चाहिए कि वह हमेशा हमारे साथ है और सभी संकटों से हमारी रक्षा करेगा।
अपने ऊपर और अपने प्रभु के ऊपर विश्वास बढ़ाने का एक प्रभावी उपाय जप या ध्यान करना है। आप अपनी सुविधानुसार कभी भी कहीं भी किसी आसन पर शांति से बैठ जाइए और या तो गायत्री मंत्र का अर्थ सहित मानसिक जप कीजिए या अपने हृदय, नासाग्र या भ्रूमध्य में ध्यान लगाते हुए ओम् का मानसिक जप कीजिए। ऐसा करने से निश्चय ही आपको नया आत्मविश्वास प्राप्त होगा और हर प्रकार के तनाव से मुक्ति मिलेगी। ओंकार ध्वनि (उद्गीत) और भ्रामरी प्राणायाम भी इसमें आपकी बहुत सहायता कर सकते हैं।
विजय कुमार सिंघल

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