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Sunday 4 August 2013

घर परिवार की पहेलियाँ

कई मित्रों को शिकायत है कि मैं हमेशा गणित की पहेलियाँ ही बूझता हूँ. लीजिये इस बार मैं घर-परिवार की पहेलियाँ बूझ रहा हूँ. देखते हैं कि कितने लोग इनका जबाब दे पाते हैं.

१. एक नारि दो लहँगा पहने, छः लटकावे नाड़े.

२. एक नारि अलबेली देखी चलते-चलते रुक गयी. लाओ चाकू गर्दन काटो, फिर से चलने लग गयी.

३. अड़ी थी लड़ी थी नौ लाख मोती जड़ी थी. बाबाजी के बाग में दुशाला ओढ़े खड़ी थी.

४. एक गाँव में आग लगी है, एक गाँव में रहा कुआँ. एक गाँव में लम्बी बाँसी, एक गाँव में उड़ा धुआँ.

५. तीन खम्भ धरती गढ़े,एक खम्भ आकाश. ना बिजली, ना बादल, बरसे तो बरसे यार.

कृपया क्रम संख्या देकर इनका उत्तर बताएं.

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