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Tuesday 23 July 2013

फिर एक गणितीय पहेली : रोटियाँ


एक गाँव के तीन मित्र तीर्थयात्रा पर गये। वहाँ एक दिन उन्होंने मिलकर ढेर सारी रोटियाँ बनायीं। रोटी बनाते-बनाते वे थक गये, तो यह तय करके सो गये कि सुबह रोटियों का बँटवारा करके खायेंगे।

रात में एक व्यक्ति की नींद खुली और उसे भूख लगी, तो उसने रोटियों की तीन बराबर ढेरियाँ बनायीं। एक रोटी बच गयी, तो उसने वह रोटी कुत्ते को डाल दी और एक ढेरी की रोटियाँ खुद खा लीं। बाकी दोनों ढेरियों की रोटियों को उसने उसी जगह रख दिया।

थोड़ी देर बाद दूसरे व्यक्ति की नींद खुली और उसे भी भूख लगी, तो उसने उन रोटियों की तीन बराबर ढेरियाँ बनायीं। एक रोटी फिर बच गयी, तो उसने भी वह रोटी कुत्ते को डाल दी और एक ढेरी की रोटियाँ खुद खा लीं। बाकी दोनों ढेरियों की रोटियों को उसने भी उसी जगह रख दिया।

उसके थोड़ी देर बाद तीसरे व्यक्ति की नींद खुली और उसे भी भूख लगी, तो उसने उन रोटियों की तीन बराबर ढेरियाँ बनायीं। एक रोटी फिर बच गयी, तो उसने भी वह रोटी कुत्ते को डाल दी और एक ढेरी की रोटियाँ खुद खा लीं। बाकी दोनों ढेरियों की रोटियों को उसने भी उसी जगह रख दिया।

सुबह तीनों व्यक्ति उठे और रोटियाँ खाने बैठे। उन्होंने उन रोटियों की तीन बराबर ढेरियाँ बनायीं। एक रोटी फिर बच गयी, तो उन्होंने वह रोटी कुत्ते को डाल दी और एक-एक ढेरी की रोटियाँ तीनों ने खा लीं।

रोटियों की ढेरियाँ बनाने में किसी को भी किसी भी रोटी को तोड़ना नहीं पड़ा।

बताइये कि उन्होंने शुरू में कुल कितनी रोटियाँ बनायी थीं? (इस प्रश्न के अनन्त उत्तर हैं, लेकिन आपको सबसे छोटा उत्तर देना है।)

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