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Friday 14 June 2013

अंकुरित अन्न


कई प्राकृतिक चिकित्सक इसे ‘अमृतान्न’ कहते हैं। हम इसे भोजन का अंग ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भोजन भी बना सकते हैं। यदि यह सम्भव न हो, तो इसे नाश्ते के रूप में सेवन करना बहुत अच्छा रहेगा। यह पकाये हुए अन्न से अधिक लाभदायक होता है और पचने में अत्यन्त हलका होता है। अन्न को अंकुरित करने की विधि बहुत सरल है। साबुत अनाजों जैसे चना, गेहूँ, मूँग, उड़द, मैथी दाने आदि को आवश्यक मात्रा में लेकर साफ कर लें और एक दो बार साफ पानी में धो लें। अब इनको किसी कटोरे में रखकर पानी में भिगो दें। 10-12 घंटे भिगोये रखने के बाद उनको किसी कपड़े में लपेटकर उसी कटोरे में रख दें और पानी निकाल दें। कटोरे को अच्छी तरह ढक दें। ऐसा करने से 24 घंटों या अधिक से अधिक 48 घंटों में उनमें अंकुर निकल आयेंगे। उनको एक बार और धोकर खायें। चाहें तो थोड़ा सैंधा नमक और नीबू भी डाल सकते हैं। स्वाद बढ़ाने के लिए आप उसमें धनिया, टमाटर, प्याज, अदरक और हरी मिर्च के टुकड़े और जाड़े के दिनों में रातभर भिगोये हुए मूँगफली के दाने भी मिला सकते हैं।

अंकुरित अन्न खाने से हमारे शरीर के लिए आवश्यक सभी विटामिनों और खनिज पदार्थों की पूर्ति हो जाती है। यह पाचन प्रणाली को सुधारने के लिए भी बहुत लाभदायक है, क्योंकि इन्हें पचाने में शरीर को अधिक श्रम नहीं करना पड़ता। इसके विपरीत आग पर पकाये हुए अन्न को पचाने में आँतों पर बहुत दबाव पड़ता है। आप चाहें तो पूर्णतः कच्चा खाने अर्थात् आग के सम्पर्क में न आयी हुई वस्तुओं को ही ग्रहण करने का व्रत ले सकते हैं। इसे अपक्वाहार कहा जाता है। अपक्वाहार पुराने और हठी रोगों से मुक्ति प्राप्त करने में बहुत कारगर सिद्ध हुआ है। यदि हम अपने आहार में अन्न और फलों का पर्याप्त अनुपात बनाये रखें और मूँगफली के दानों के रूप में चिकनाई भी लेते रहें, तो अपक्वाहार से किसी भी प्रकार की हानि होने की कोई सम्भावना नहीं है।

अंकुरित अन्न के बारे में मैंने एक तुकबंदी की है, जो यहाँ दे रहा हूँ-

                                  अमृतान्न
सूखे देशी चने लाइए। साबुत मूँग मैथी मिलाइए।।
छान बीनकर साफ कीजिए। रगड़-रगड़ कर धो लीजिए।।
बारह घंटे जल में भिगोइए। फिर कपड़े में बाँध दीजिए।।
फिर उसको रख देना ढककर। जिससे निकल आयेंगे अंकुर।।
अंकुर आने पर निकालिए। एक बार फिर धो डालिए।।
धनिया अदरक प्याज टमाटर। डालो छोटे-छोटे टुकड़े कर।।
सेंधा नमक जरा सा डालो। नीबू की कुछ बूँद मिला लो।।
चबा-चबाकर प्रेम से खाओ। अमृत सा आनन्द उठाओ।।

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