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Monday 24 June 2013

संकटों में सुरक्षा के कुछ उपाय


संकटों में कोई नहीं फँसना चाहता, लेकिन अनायास ही संकट आते रहते हैं और हमें वे सब झेलने पड़ते हैं। अधिकांश लोग छोटे-छोटे संकटों में ही हिम्मत हार देते हैं और बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो बड़े-बड़े संकटों में भी हिम्मत नहीं हारते। संकट चाहे छोटा हो या बड़ा, हमें हिम्मत हारे बिना उसका मुकाबला करना चाहिए और उसके कारण होने वाली हानि को न्यूनतम करने की कोशिश करते रहना चाहिए। हिम्मत हार जाने पर छोटे संकट भी भयावह सिद्ध हो जाते हैं, जबकि हिम्मत से मुकाबला करने पर बड़े संकट भी झेले जा सकते हैं। इसलिए ”हारिये न हिम्मत, बिसारिये न हरि नाम।“ अभी उत्तराखण्ड में जो भयंकर प्राकृतिक आपदा आयी, उससे हजारों व्यक्तियों के प्राण गये। बहुत से लोगों ने हिम्मत के साथ इसका मुकाबला किया और न केवल अपने प्राण बचाने में सफल रहे, बल्कि दूसरों की भी सहायता की।

आपदाओं का आना तो हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हम कुछ उपायों का सहारा लेकर उनकी विभीषिकाओं को कम कर सकते हैं। यहाँ मैं अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर कुछ उपाय बता रहा हूँ, जो सबको समझकर हमेशा याद रखने चाहिए।

भूख-प्यास से बचाव

बहुत से लोग ऐसी जगह फँस जाते हैं, जहाँ न तो खाने के लिए कोई वस्तु होती है और न पीने के लिए शुद्ध जल ही मिलता है। ऐसी स्थिति में एक विशेष प्रकार का प्राणायाम करके भूख-प्यास पर नियंत्रण किया जा सकता है और हफ्तों तक अपने प्राण बचाये जा सकते हैं। इस प्राणायाम की विधि निम्नप्रकार है- सीधे किसी भी आसन में बैठकर अपनी जीभ को मोड़कर नाली या कौए की चोंच का रूप देना चाहिए और होठों को गोल करके मुँह से हवा खींचनी चाहिए और फिर नाक से निकालनी चाहिए। ऐसा बार-बार कीजिए। हर जगह हवा में नमी होती है। इस तरह मुँह से हवा खींचने पर वह नमी पेट में चली जाती है। लगातार 5 मिनट यह प्राणायाम करने से ऐसा प्रतीत होता है, जैसे पेट पानी पीने से भर गया है। यदि पीने का पानी बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं है तो इस प्राणायाम से कम से कम 2 हफ्ते या अधिक भी अपने प्राण बचाये जा सकते हैं और यदि पीने का पानी मिल जाये, तो बिना कुछ खाये इस प्राणायाम को करके महीनों तक जीवित रहा जा सकता है।

ठंड और गर्मी से बचाव

कई बार हम ऐसी परिस्थिति में फँस जाते हैं कि मौसम बहुत ठंडा होता है और ठंड से बचने के लिए पर्याप्त कपड़े या उपाय नहीं होते। ऐसी हालत में हम सूर्यभेदी प्राणायाम करके अपने शरीर को गर्म रख सकते हैं। इसकी विधि यह है कि बायें नथुने को बायें अँगूठे से बन्द करके केवल दायें नथुने से साँस लेनी और निकालनी चाहिए। कुछ देर ऐसा करने से ही शरीर गर्म हो जाता है। इसका रहस्य यह है कि हमारा दायाँ स्वर सूर्य स्वर है जो गर्म होता है और बायाँ स्वर चन्द्र स्वर है, जो ठंडा होता है। केवल सूर्य स्वर से साँस लेने पर शरीर में गर्मी आ जाती है।

अगर हमें बहुत अधिक गर्मी लग रही है, तो हम दायाँ नथुना बन्द करके केवल बायें नथुने से साँस लेकर अपने शरीर को ठंडा रख सकते हैं।

बस या ट्रेन पलटने पर बचाव

भगवान न करे, यदि कभी आप बस या ट्रेन में जा रहे हों और वह दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट रही हो, तो अपने प्राण बचाने का उपाय यह है कि आप बस या ट्रेन के किसी हैंडिल या खम्भे को दोनों हाथों से कसकर पकड़ लें और उसे किसी भी हालत में न छोड़ें, चाहे बस या ट्रेन कितने भी चक्कर खाकर कितनी भी नीचे गिर रही हो। ऐसा करने का मुख्य उद्देश्य सिर को टकराने से बचाना है, क्योंकि सिर टकराने से प्राण जा सकते हैं। हाथ-पैर टकरायें तो वे भले ही टूट जायें, लेकिन प्राणों पर संकट नहीं होगा। इसलिए किसी हैंडिल या खम्भे को कसकर पकड़ लेना चाहिए और अपने सिर को टकराने से बचाना चाहिए। यदि दुर्भाग्य से ऐसा कोई हैंडिल या खम्भा पास में न हो, तो दोनों हाथों की उँगलियों को फँसाकर हाथों को मोड़कर कानों के ऊपर से सिर को चारों ओर से इस प्रकार जकड़ लेना चाहिए कि भले ही हाथ टकरायें लेकिन सिर पर चोट न आये। ऐसा करके भी आप बहुत हद तक अपने प्राण बचा सकते हैं। इसके बाद जैसे ही बस या ट्रेन जमीन पर आकर टिक जाये, तो तत्काल उसके किसी दरवाजे या खिड़की से बाहर निकल जाना चाहिए (आवश्यक हो तो काँच को तोड़कर), ताकि आग लगने की स्थिति में आप सुरक्षित रहें।

बाढ़ में फँसने पर बचाव

यदि आप अचानक किसी बाढ़ में फँस गये हैं, तो उससे बचने का उपाय यह है कि किसी पक्के घर की सबसे ऊपरी मंजिल पर चले जायें। यदि ऐसा कोई घर आस-पास न हो, तो किसी बड़े पेड़ के तने से चिपक जायें या उस पर थोड़ा ऊपर चढ़कर बैठ जायें। अगर पेड़ गिरेगा भी तो आप सुरक्षित रहेंगे, क्योंकि पेड़ पानी में डूबता नहीं है। लेकिन ऐसी तरफ चिपकना चाहिए कि आप पेड़ के नीचे न दब जायें। यदि आस-पास पेड़ भी नहीं है, तो बाढ़ से निकलने का एक उपाय यह है कि अपने घर पर प्लास्टिक के 2-4 डिब्बे या बोतलें लेकर उनको खाली करके ढक्कन लगा दें, ताकि उनमें पानी न जाये। फिर उनको अपनी छाती से कसकर बाँध लें। ऐसा करने पर आप डूबेंगे नहीं और खड़े खड़े हाथ चलाकर तैरते हुए कहीं भी जा सकते हैं। ध्यान रखें कि बोतलों को कमर से न बाँधें, नहीं तो आपकी कमर ऊपर आ जायेगी और सिर नीचे हो जाएगा, जिससे आप डूब जायेंगे।

आग से बचाव

कई बार आग आदि लग जाने पर हम किसी भवन में फँस जाते हैं। ऐसी स्थिति में हमको या तो तत्काल सीढि़यों से नीचे उतर जाना चाहिए या अगर नीचे का रास्ता बन्द है तो किसी बालकनी में या छत पर चले जाना चाहिए, जहाँ खुली हवा आ रही हो। ऐसा करने से आप धुँए में दम घुटने से बच सकते हैं। बालकनी या छत पर जाकर बाहर निकलने का उपाय करना चाहिए। इसका एक उपाय रस्सी के सहारे उतरना हो सकता है। यदि रस्सी उपलब्ध हो, तो उसको कसकर किसी स्थिर वस्तु से बाँधकर धीरे-धीरे नीचे उतर जाना चाहिए। रस्सी पर्याप्त लम्बी होना आवश्यक है, ताकि आप जमीन तक सुरक्षित पहुँच जायें। यदि रस्सी उपलब्ध नहीं है, तो आप अपने पहने हुए कपड़ों या चादरों आदि से रस्सी बना सकते हैं। इसका तरीका यह है कि जो भी कपड़ा हो उसकी 2 या 3 इंच चैड़ी लम्बी-लम्बी पट्टियाँ फाड़ लें और फिर उनको गोल-गोल बँटकर दोहरी या तिहरी रस्सी बना लेनी चाहिए। उसमें बीच-बीच में गाँठें भी लगा लेनी चाहिए, ताकि उतरने में सुविधा रहे। ऐसी रस्सी एक व्यक्ति का वजन झेलने के लिए पर्याप्त मजबूत होती है। रस्सी बनाने में थोड़ा समय अवश्य लगेगा, लेकिन कोई अन्य उपाय न होने पर ऐसा ही करना चाहिए।

लिफ्ट टूटने पर बचाव

यदि आप किसी लिफ्ट में जा रहे हैं और दुर्भाग्य से वह टूट जाती है और नीचे गिरने लगती है, तो उस हालत में अपने प्राण बचाने का सुनिश्चित उपाय यह है कि आप लिफ्ट में छत की किसी वस्तु जैसे पंखा या दरार को पकड़कर लटक जायें और लिफ्ट नीचे पहुँचने तक लटकें रहें। इससे आप उस झटके से सुरक्षित बच जायेंगे, जो लिफ्ट जमीन से टकराने पर लगता है। यदि संयोग से लिफ्ट में ऐसी कोई वस्तु न हो, जिससे लटका जा सके, तो आपको सीधे खड़े रहकर लगातार कूदते रहना चाहिए, ताकि लिफ्ट नीचे टकराने पर झटका कम से कम लगे।

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