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Friday 20 September 2013

महाभारत का एक पात्र : अम्बा


अम्बा महाभारत का एक रहस्यमय पात्र है। वह बहुत कम समय तक दृष्टि में रही, लेकिन इतने ही समय में उसने महाभारत की घटनाओं पर अपना प्रभाव छोड़ दिया। वह तत्कालीन काशीराज की तीन पुत्रियों में सबसे बड़ी थी। अन्य दो पुत्रियों के नाम थे- अम्बिका और अम्बालिका। तीनों बहिनों की उम्रों में अधिक अन्तर नहीं था, इसलिए उनके पिता काशीराज ने तीनों का स्वयंवर एक साथ करने की निश्चय किया। परम्परा के अनुसार देश भर के राजाओं और राजकुमारों को निमंत्रण भेजा गया।

उस समय हस्तिनापुर के सिंहासन पर विचित्रवीर्य विराजमान थे। वे शांतनु और सत्यवती के छोटे पुत्र थे। उनके बड़े भाई चित्रांगद एक द्वंद्व युद्ध में मारे जा चुके थे। इसलिए विचित्रवीर्य को ही गद्दी पर बैठाया गया। वे बचपन से ही बीमार थे और बीमारी ने उनके शरीर को जर्जर बना दिया था। अगर वे स्वयंवर में जाते, तो शायद ही कोई राजकुमारी उनका वरण करती। इसलिए भीष्म ने उनको भेजने के बजाय स्वयं जाना तय किया।

निर्धारित दिन पर भीष्म दनदनाते हुए स्वयंवर स्थल पर जा पहुँचे। उस समय कई राज्यों के राजा और राजकुमार स्वयंवर में आये हुए थे और राजकुमारियों द्वारा वरमाला पहनाये जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे। भीष्म के पहुँच जाने पर सबको आश्चर्य हुआ कि जो व्यक्ति आजीवन अविवाहित रहने और कभी सिंहासन पर न बैठने की प्रतिज्ञा कर चुका है, वह स्वयंवर में आया है। कुछ ने उनका मजाक भी बनाया।

उसी समय भीष्म ने घोषणा की कि मैं इन तीनों राजकुमारियों को कुरुवंश की वधू बनाने के लिए ले जा रहा हूँ। यदि किसी को आपत्ति हो तो मुकाबला कर ले। यह सुनते ही सभी को साँप सूँघ गया। वे भीष्म की शक्ति को जानते थे, इसलिए चुपचाप बैठे रहे। तब भीष्म ने काशीराज से कहा कि अपनी पुत्रियों को मेरे साथ जाने की अनुमति दे दें। काशीराज ने चुपचाप पुत्रियों को जाने का इशारा कर दिया और वे भीष्म के साथ चल पड़ीं। यहाँ भीष्म ने यह बात छिपा ली थी कि वे उन राजकुमारियों को अपने लिए नहीं बल्कि अपने छोटे बीमार भाई के लिए ले जा रहे थे।

उस स्वयंवर में राजकुमार शाल्व भी आया हुआ था। वह बड़ी राजकुमारी अम्बा को पसन्द करता था और अम्बा भी उसी को वरमाला पहनाने का निश्चय करके आयी थी। लेकिन जब भीष्म उसको ले जाने लगे, तो वह चुपचाप चल दी। वह भी मक्कार थी। उसने सोचा होगा कि भीष्म मुझसे विवाह करके राजसिंहासन पर बैठेंगे और मैं कुरुवंश की महारानी बन जाऊँगी। इसलिए वह कुछ नहीं बोली और चुपचाप चल पड़ी। अगर वह उस समय कह देती कि मैं शाल्व से विवाह करना चाहती हूँ, तो भीष्म उसी समय उसे छोड़ देते। लेकिन उसने यह मौका गँवा दिया।

रास्ते में शाल्व ने भीष्म को रोका और कहा कि अम्बा को मैं प्यार करता हूँ और उससे विवाह करूँगा। अगर इस समय भी अम्बा कह देती कि मैं शाल्व के साथ जाना चाहती हूँ, तो भीष्म उस समय भी उसे छोड़ देते। लेकिन तब भी अम्बा कुछ नहीं बोली। इस पर भीष्म ने शाल्व को युद्ध में हरा दिया और घायल करके छोड़ दिया।

जब सभी हस्तिनापुर पहुँचे और भीष्म ने बताया कि उनका विवाह विचित्रवीर्य के साथ कराया जाएगा, तो अम्बा का सपना टूट गया। उसने भीष्म को बताया कि मैं शाल्व को प्यार करती हूँ और उससे ही विवाह करना चाहती हूँ। इस पर भीष्म ने उससे कह दिया कि अगर यही तुम्हारी इच्छा है, तो तुम जा सकती हो। यह सुनकर अम्बा चली गयी। उसकी दोनों छोटी बहनों ने विचित्रवीर्य से विवाह करना स्वीकार कर लिया।

जब अम्बा शाल्व के पास पहुँची तो शाल्व ने उसे स्वीकार करने से मना कर दिया, क्योंकि भीष्म ने उसे युद्ध में हरा दिया था। वास्तव में वह भी अम्बा को प्यार नहीं करता था, बल्कि प्यार का नाटक करता था। लेकिन अम्बा इतनी मूर्ख थी कि उसे शाल्व के बजाय भीष्म पर क्रोध आया। वह वापिस हस्तिनापुर पहुँची और भीष्म पर जोर डाला कि मेरे साथ विवाह कर लो। लेकिन भीष्म अपनी प्रतिज्ञा से बँधे हुए थे, इसलिए उन्होंने साफ मना कर दिया। इस पर वह भीष्म को धमकी देकर चली गयी।

उसने भीष्म को दंड देने के लिए बहुतों के सामने प्रार्थना की, लेकिन किसी भी व्यक्ति की हिम्मत भीष्म से पंगा लेने की नहीं हुई। तब वह भीष्म के गुरु भगवान परशुराम के पास गयी और उनसे सहायता का वचन लेकर भीष्म को दंड देने के लिए कहा। परशुराम ने भीष्म को बुलवाया और उनसे कहा कि तुम या तो अम्बा से विवाह कर लो, या मुझसे युद्ध करो। भीष्म ने अपने गुरु से युद्ध करना स्वीकार किया, लेकिन अपनी प्रतिज्ञा तोड़ने को तैयार नहीं हुए। पूरे आठ दिन दोनों गुरु-शिष्य में युद्ध हुआ, लेकिन कोई किसी को नहीं हरा सका। तो परशुराम ने युद्ध समाप्त कर दिया और अम्बा से कहा कि इससे ज्यादा मैं तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता, क्योंकि भीष्म अजेय हैं।

कहा जाता है कि भीष्म से बदला लेने की आग में जलती हुई अम्बा ने आत्मघात कर लिया और फिर पांचाल के राजा द्रुपद के घर राजकुमार शिखंडी के रूप में जन्म लिया, जो अन्ततः भीष्म की मृत्यु का कारण बना। मेरी दृष्टि में अम्बा मूर्ख थी। उसे शुरू में ही भीष्म से कह देना चाहिए था कि मैं शाल्व के साथ जाना चाहती हूँ। भीष्म तो उसे उसी समय मुक्त कर देते। फिर जब शाल्व ने उसे स्वीकार नहीं किया था, तो उसे इसका बदला शाल्व से ही लेना चाहिए था, न कि भीष्म से। भीष्म ने तो कभी उससे विवाह करने का वचन ही नहीं दिया था। अपनी मूर्खता के कारण अम्बा ने अपनी जिन्दगी बरबाद कर ली।

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