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Tuesday 19 March 2013

प्राकृतिक चिकित्सा से नशा मुक्ति


यह एक सत्य घटना है। मेरठ जिले में बागपत रोड पर पाँचली नामक गाँव में स्वामी जगदीश्वरानन्द जी सरस्वती का प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र है। वहाँ एक बार एक गाँव के कुछ लोग 27-28 साल के एक आदमी को लेकर आये और कहा- ‘स्वामी जी, इसे अफीम की लत है। दिन-रात नशे में डूबा रहता है। कोई काम-धाम करता नहीं। अगर रोज एक पुड़िया न मिले, तो मरने-मारने पर उतारू हो जाता है। आप कुछ कीजिए।’

स्वामी जी ने कहा- ‘इसे मेरे पास छोड़ दो। मुझे 10 पुड़िया बनाकर दे जाओ। 10 दिन बाद आ जाना।’ उन लोगों ने ऐसा ही किया। वे 10 पुड़िया स्वामी जी को देकर और उस आदमी को वहाँ छोड़कर चले गये। स्वामी जी ने उस आदमी से कहा- ‘तुम यहाँ रहो। जो करने के लिए कहा जाये, वह करो। रोज रात को आकर मुझसे एक पुड़िया ले जाना।’ वह आदमी मान गया।

उसका चिकित्सा केन्द्र में इलाज होने लगा। पेड़ू पर मिट्टी की पट्टी, एनीमा, भाप स्नान, कटि स्नान, मालिश, कुंजर आदि क्रियाएँ की जाने लगीं। साथ में सात्विक भोजन और रसाहार। वह रोज रात को स्वामी जी के पास आता और एक पुड़िया लेकर चला जाता। इस तरह 6 दिन तक वह रोज पुड़िया ले जाता रहा। सातवें दिन वह पुड़िया लेने नहीं आया। जब वह आठवें दिन भी नहीं आया, तो अगले दिन सुबह ही स्वामी जी ने उसे बुला भेजा और पूछा- ‘तुम दो दिन से पुड़िया लेने नहीं आ रहे हो?’

यह सुनते ही वह रोता हुआ स्वामी जी के पैरों में गिर पड़ा और कहने लगा- ‘स्वामी जी, आपने मुझे बचा लिया। अब मुझे पुड़िया की जरूरत नहीं है।’ स्वामी जी ने उसके सिर पर हाथ फेरा और आशीर्वाद दिया। फिर उसके घरवालों को खबर की।

अगले दिन उसके घरवाले आ गये। उस आदमी की पत्नी घूँघट में थी। वह भी रोती हुई स्वामी जी के पैरों पर गिर पड़ी। सबने कहा- ‘स्वामी जी आपने पूरे परिवार को नष्ट होने से बचा लिया।’

सत्य है, प्राकृतिक चिकित्सा और सात्विक भोजन से शरीर और मन भी शुद्ध हो जाते हैं। नशा मुक्ति तो मामूली बात है।

1 comment:

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    Health World in Hindi

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