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Saturday 4 May 2013

स्वास्थ्य की दुश्मन है चाय


हमारे स्वास्थ्य की सबसे बड़ी दुश्मन है चाय। यह घर-घर में पी जाती है और दिन में कई बार भी पी जाती है। इसके कारण हमारे स्वास्थ्य का सत्यानाश हो रहा है। इसमें कोई पौष्टिक तत्व नहीं होता, बल्कि हानिकारक नशीली वस्तुएँ होती हैं। इसको कुछ दिन तक नियमित पीने से इसकी लत लग जाती है और यदि एक दिन भी समय पर चाय न मिले, तो दर्द से सिर फटने लगता है और शरीर शिथिल हो जाता है। इससे सिद्ध होता है कि यह एक नशा है और नशे के अलावा कुछ नहीं है।

चाय को गर्म-गर्म पिया जाता है, इससे आँतों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। हमारे शरीर में ठंडी वस्तुओं को गर्म करने की व्यवस्था तो है, परन्तु गर्म वस्तुओं को ठंडा करने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए गर्म-गर्म चाय पेट और आँतों में काफी समय तक पड़ी रहती है और हमारी पाचन शक्ति को बिगाड़ देती है। चाय के प्रयोग से आँतें धीरे-धीरे निर्बल हो जाती हैं और मल निष्कासन प्रणाली भी शिथिल हो जाती है। इससे सड़ा हुआ मल आँतों में जमता रहता है और तरह-तरह की बीमारियाँ पैदा करता है। नियमित चाय पीने वाले प्रायः भूख न लगने की शिकायतें करते पाये गये हैं। इसका कारण यही है कि पाचन शक्ति कमजोर हो जाने के कारण कोई भी भोजन ठीक से पचता नहीं है, इसलिए खुलकर भूख भी नहीं लगती।

बहुत से लोगों में बेड टी की आदत होती है अर्थात् सोकर उठने पर सबसे पहले बिस्तर पर ही चाय पीते हैं। यह आदत अति हानिकारक है। उन्हें चाय पीने के बाद ही शौच होता है, इससे वे समझते हैं कि चाय पेट साफ करती है। जबकि बात इससे ठीक उल्टी है। चाय पीने के बाद शौच इसलिए आ जाता है कि उससे आँतों में प्रतिक्रिया होती है, जिसके कारण शौच निकल जाता है। यदि इसके बजाय वे केवल एक गिलास सादा या गुनगुना जल पी लें, तो पेट अधिक अच्छी तरह साफ होगा और चाय के कुप्रभावों से भी बचे रहेंगे। बेड टी की आदत यूरोप के ठंडे देशों में तो कुछ हद तक स्वीकार्य है, परन्तु भारत जैसे गर्म देशों में बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।

चाय में जो विषैले तत्व पाये जाते हैं, उनकी तो चर्चा करना ही व्यर्थ है, क्योंकि सभी जानते हैं कि चाय पीने वालों को कैंसर और डायबिटीज होने की सम्भावना सबसे अधिक होती है। इसके अन्य कई हानिकारक प्रभाव भी होते हैं, जो निम्नलिखित दोहे में बताये गये हैं-
कफ काटन, वायु हरण, धातुहीन, बल क्षीण।
लोहू को पानी करै, दो गुण, अवगुण तीन।।

इस दोहे में चाय में जो दो गुण बताये गये हैं अर्थात् कफ को काटना और गैस को दूर करना, वे चाय के कारण नहीं, बल्कि गर्म पानी के कारण होते हैं। साधारण गुनगुना पानी पीकर भी ये लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। इसलिए चाय की कोई आवश्यकता नहीं है। चाय के साथ चीनी भी हमारे शरीर में बड़ी मात्रा में प्रतिदिन चली जाती है, जो स्वयं बहुत हानिकारक है। इसलिए चाय पीना तो तत्काल बन्द कर देना चाहिए। जो चाय के लती हैं, उनको एकदम चाय छोड़ देने से एक-दो दिन थोड़ा कष्ट होगा, लेकिन यदि वे उसे झेल जायें, तो फिर कोई कष्ट नहीं होगा और स्वास्थ्य सुधार की राह पकड़ लेगा।

यदि कभी चाय की तलब उठे भी, तो उसके स्थान पर निम्नलिखित वस्तुओं में से कोई भी वस्तु ली जा सकती है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हैं-
1) एक गिलास शीतल जल
2) एक कप गुनगुना दूध
3) एक गिलास मट्ठा या लस्सी
4) सब्जियों का एक कप सूप
5) किसी फल का एक गिलास रस
6) एक गिलास पानी में आधे नीबू का रस (नमक और चीनी के बिना)

यहाँ हमने चाय के बारे में जो कुछ भी कहा है, वह काफी के बारे में भी उतना ही सत्य है, बल्कि काफी चाय से दुगुनी हानिकारक होती है। इसलिए चाय और काफी दोनों भूलकर भी नहीं पीनी चाहिए। यदि कोई मित्र या सम्बंधी आपसे इन वस्तुओं के लिए आग्रह करे, तो विनम्रतापूर्वक मना कर दें और केवल शीतल जल की माँग करें। इससे उनको बुरा नहीं लगेगा। मैंने पिछले 16 वर्षों से चाय-काफी की एक बूँद भी नहीं पी है। मेरे सभी मित्र और सम्बंधी मेरे इस नियम के बारे में जानते हैं, इसलिए अधिक आग्रह नहीं करते। मेरा स्वास्थ्य मेरी उम्र के व्यक्तियों की तुलना में बहुत अच्छा है। हाल ही में मैंने अपने स्वास्थ्य की जाँच करायी है, जिसमें रक्तचाप, हृदय, शुगर आदि सभी पूर्णतया सामान्य पाये गये हैं।

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