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Thursday 5 January 2012

मूर्खात्मा गाँधी और पोंगा पंडित नेहरु

यह शीर्षक पढ़कर अधिकांश लोग चोंक जायेंगे. हमने गाँधी और नेहरु के आसपास एक ऐसा महिमा मंडल बना रखा है कि जो इसके विपरीत कुछ कहता है तो उसे अपराध माना जाता है. लेकिन मैंने उनको ये विशेषण बहुत सोच-समझ कर दिए हैं.
कभी मैं भी गाँधी का भक्त था. प्राथमिक विद्यालय से ही मुझे यह पढाया गया था कि गाँधी बहुत महान थे, उन्होंने देश के लिए यह किया, वह किया आदि. एक बार मेरे विद्यालय में अछूतोद्धार पर एक नाटक खेला गया था, उसमें मैंने गाँधी कि भूमिका की थी. लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ और गाँधी के बारे में अधिक से अधिक पढ़ा-जाना, तो मेरी धारणाएं बिलकुल बदल गयीं. मैं उन्हें महात्मा नहीं मानता. निश्चित ही वे महान थे, परन्तु उनकी महानता से देश को कोई लाभ नहीं हुआ, बल्कि हानि ही हुई. यही बात नेहरु के बारे में कही जा सकती है.
मैं यह स्पष्ट कर दूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे गाँधी या नेहरु से कोई शिकायत नहीं है, न तो गाँधी ने मेरा खेत काटा है और न नेहरु ने मेरी भैंस खोली है. मैंने ये विचार तो उनके द्वारा देश के प्रति किये गए अपराधों के कारण बनाये हैं,  गाँधी नग्न महिलाओं के साथ सोकर अपने ब्रह्मचर्य की परीक्षा करते थे या नेहरु अपनी विवाहिता पत्नी को उपेक्षित करके लेडी माउन्ताबेतन अथवा श्रद्धा माता जैसी महिलाओं के साथ सम्बन्ध बनाते फिरते थे, इससे भी मेरा कोई लेना-देना फिलहाल नहीं है.
अगले ब्लोगों में मैं यह बताऊंगा कि गाँधी और नेहरु के बारे में मेरी वर्तमान धारणाएं क्यों बनीं. तब तक के लिए नमस्कार.

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