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Tuesday 23 April 2013

प्रेम की शक्ति


(यह एक सुनी हुई परन्तु सच्ची कहानी है।)

एक पीर साहब थे, जो एक दरगाह में रहते थे। उनके बारे में मशहूर था कि वे जिसके लिए दुआ कर दें, उसकी मुराद जरूर पूरी होगी। इसलिए उनके ठिकाने पर बहुत मुरीद आते थे। एक मुस्लिम महिला की शादी को कई साल हो गये थे, लेकिन उसकी गोद नहीं भर रही थी। वह पीर साहब के लिए प्रायः खाना लेकर आती थी, ताकि पीर साहब उसके लिए दुआ कर दें। उसने अपनी मुराद बतायी, तो पीर साहब उसके लिए दुआ करने को तैयार हो गये।

अगली बार वह फिर खाना लेकर आयी, तो पीर साहब ने उससे कहा कि तुम यह खाना ले जाओ, मैं इसे नहीं खा सकता, क्योंकि मेरी दुआ कबूल नहीं हुई। खुदा ने कहा है कि तुम्हारी किस्मत में औलाद नहीं है। यह सुनकर वह महिला बहुत रोयी और निराश होकर खाना वापस लेकर जाने लगी।

रास्ते में उसे एक पागल सा दिखने वाला बाबा मिला। बाबा ने उसके हाथ में टिफिन देखा, तो कहा- ‘माँ, तेरे पास खाने के लिए कुछ है? अगर है तो दे, बड़ी भूख लगी है।’ महिला ने सोचा कि खाना इस भूखे का पेट भरने के काम आ जाये तो अच्छा ही है। यह सोचकर उसने अपना खाना उस बाबा को खिला दिया और टिफिन इकट्ठा करके जाने लगी।

बाबा ने भोजन से तृप्त होकर पूछा- ‘माँ, तू रोती क्यों है?’

उसने रोते-रोते कहा- ‘बाबा मेरे कोई औलाद नहीं है। एक हो जाये, तो चैन मिले। पर मेरी किस्मत में एक भी औलाद नहीं है।’

बाबा- ‘बस इतनी सी बात? तू एक के लिए रोती है, चल मैं तुझे दो देता हूँ।’

उस महिला ने सोचा कि जब खुदा ने खुद कहा है कि मेरी किस्मत में औलाद नहीं है, तो इस पागल बाबा के कहने से क्या होगा। खैर, वह अपने बर्तन लेकर चली गयी। ईश्वर की लीला कि शीघ्र ही उसकी कोख हरी हो गयी और समय पाकर उसने दो सुन्दर जुड़वाँ पुत्रों को जन्म दिया। उस महिला की खुशी का ठिकाना नहीं था।

जब वे शिशु एक माह के हो गये, तो उसने उनको लाकर पीर साहब के कदमों में डाल दिया। उनको देखकर पीर साहब बहुत चकित हुए। महिला ने उनको पागल बाबा वाली घटना सुनायी। पीर साहब बोले- ‘यह कैसे हो गया? मुझे तो खुद उसने कहा था कि तुम्हारी किस्मत में औलाद नहीं है। अल्लाह ताला ही कुछ बताये, तो पता चले।’

अगली बार वह महिला वहाँ गयी, तो पीर साहब उसको देखते ही बोले- ‘वह पागल सा बाबा कहाँ है? मैं उसके पैर चूमना चाहता हूँ। अल्लाह ने फरमाया है कि वह बाबा मेरा बहुत बड़ा प्रेमी है। मैं उसकी बात नहीं टाल सकता।’

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