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Tuesday 23 April 2013

क्या मुगल भारतीय थे?


कई सेकूलर सज्जन मुगलों की चर्चा करते समय इस बात पर जोर देते हैं कि भारत पर शासन करने वाले मुगल बादशाह भारतीय थे और इसीलिए उनके विरुद्ध संघर्ष करने वाले लोग विद्रोही थे। यह बात पूरी तरह गलत है। मुगलों का पूरा इतिहास गवाह है कि उनको इस देश से कोई लगाव नहीं था। आइए, इस बात को जरा विस्तार से समझें।

मुगल वंश का पहला बादशाह बाबर पिता की ओर से तैमूर लंग और माता की ओर से चंगेज खाँ का वंशज था। ये दोनों मध्य एशिया में रहने वाले मंगोल मूल के लुटेरे और हत्यारे थे। बाबर में इन दोनों के कुसंस्कार पूरी तरह आये थे। बाबर ने जब भारत पर हमला किया था, तो देश में अफगान मूल के बादशाह इब्राहीम लोदी का शासन था। उसको पानीपत के मैदान में हराकर बाबर भारत का बादशाह बना था।

बाबर का बड़ा पुत्र हुमायूँ बाबर के साथ ही आया था। बाबर के मरने के बाद वह बादशाह बना, लेकिन शीघ्र ही शेरशाह सूरी के हाथों हारकर जान बचाकर भारत से भाग गया। बाद में जब शेरशाह सूरी के वंशज अयोग्य और कमजोर निकले, तो वह पुनः भारत लौटा और दिल्ली का बादशाह बना। जब वह भारत से हारकर भाग रहा था तो रास्ते में अकबर का जन्म हुआ था। इधर-उधर भागते रहने के कारण उसकी कोई शिक्षा भी नहीं हो सकी। लेकिन जब हुमायूँ दोबारा भारत का बादशाह बना, तो उसके मरने के बाद अकबर को बादशाह बनाया गया, जब वह केवल 13-14 साल का था।

इससे स्पष्ट है कि पहले तीन मुगल बादशाहों का तो जन्म भी भारत में नहीं हुआ था। हाँ, अकबर के बाद के सभी मुगल बादशाहों का जन्म भारत में ही हुआ था। फिर भी उन्हें भारतीय नहीं माना जा सकता, क्योंकि ऐसा एक भी उदाहरण नहीं मिलता, जब उन्होंने इस देश के प्रति कोई लगाव दिखाया हो। उनके मन में हमेशा यह बात रहती थी कि वे महान् तैमूर लंग के वंशज हैं। इसलिए उनके मन में कभी भारतीयता के संस्कार जाग्रत नहीं हुए। उनको केवल एक बात का श्रेय दिया जा सकता है कि अन्य विदेशी हमलावरों और अंग्रेजों की तरह उन्होंने इस देश को लूटा तो जरुर, पर लूटे हुए धन को भारत से बाहर नहीं ले गए, बल्कि यहीं अपने ऐशो-आराम में खर्च किया।

यहाँ यह समझ लेना आवश्यक है कि भारत में जन्म लेना या मरना या दोनों ही भारतीय होने की एक मात्र शर्त नहीं है। इनसे वे भारत के नागरिक तो हो सकते हैं, लेकिन सच्चे भारतीय नहीं। इसे यों समझिये कि अंग्रेजों ने भारत में 200 वर्ष तक राज्य किया, उनकी कई पीढि़याँ यहीं पैदा हुईं और मरीं, लेकिन फिर भी उन्हें हमेशा विदेशी ही माना गया और उनका राज्य समाप्त होने को आजादी का नाम दिया गया। यही मुगल बादशाहों के बारे में कहा जाना चाहिए। यदि हम मुगलों को भारतीय मानते हैं तो हमें उनसे संघर्ष करने वाले महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी और छत्रसाल बुन्देला आदि को विद्रोही तथा देशद्रोही मानना पड़ेगा। यह किसी भी भारतीय को स्वीकार नहीं होगा।

एक बात यह भी है कि भारतीय होने के लिए भारत में जन्म लेना भी अनिवार्य शर्त नहीं है। उदाहरण के लिए, हम सुनीता विलियम को देख सकते हैं। वे न तो भारत में पैदा हुईं और न कभी यहाँ लम्बे समय तक रहीं। फिर भी वे स्वयं को गर्व से भारतीय कहती हैं और तिरंगे झंडे को प्यार करती हैं। यही भारतीयता है।

मुगलों को अभारतीय मानने का अर्थ यह नहीं है कि भारत के मुसलमान भी अभारतीय हैं। वास्तव में भारत के अधिकांश लगभग 95 प्रतिशत मुसलमान मूलतः हिन्दुओं के ही वंशज हैं, इसलिए उनको भारतीय ही माना जाना जाता है। केवल 5 प्रतिशत मुसलमान ऐसे हैं जो विदेशी हमलावरों के वंशज हैं। अगर वे भी स्वयं को भारतीय कहते और मानते हैं, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन स्वयं को बाबर और औरंगजेब की औलाद मानने वालों को हम भारतीय नहीं कह सकते।

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