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Sunday 4 March 2012

गाँधी का सबसे बड़ा अपराध


मूर्खात्मा गाँधी ने देश के प्रति जो अनेकानेक अपराध किये थे, उनमें से कुछ की चर्चा मैं अपने लेखों की पिछली कड़ियों में कर चुका हूँ। अब सवाल है कि गाँधी का सबसे बड़ा अपराध क्या है? मेरे विचार से देश के प्रति गाँधी का सबसे बड़ा अपराध यह है कि उन्होंने नेहरू जैसे अयोग्य, विलासी और पश्चिमी मानसिकता वाले व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप में देश पर थोप दिया। ऐसा करके गाँधी ने अपनी तानाशाही प्रवृत्ति का एक बार फिर निर्लज्ज परिचय दिया।
उल्लेखनीय है कि 16 कांग्रेस कमेटियों में से किसी ने भी नेहरू के नाम का प्रस्ताव प्रधानमंत्री पद के लिए नहीं किया था। 13 कमेटियों ने सरदार पटेल के नाम का प्रस्ताव दिया था, जो इस पद के लिए सर्वाधिक योग्य थे और निर्विवाद रूप से देशभक्त थे। जब नेहरू को पता लगा कि किसी ने भी उनके नाम का प्रस्ताव नहीं किया है और सरदार पटेल प्रधानमंत्री बन सकते हैं, तो वे गाँधी के सामने जाकर गिड़गिड़ाये और एक प्रकार से धमकाया भी। इससे गाँधी डर गये और कांग्रेस को नेहरू का नाम स्वीकार करने पर अड़ गये। सरदार पटेल, डा. राजेन्द्र प्रसाद तथा अन्य नेता गाँधी का बहुत सम्मान करते थे, इसलिए उन्होंने गाँधी की बात मान ली और पीछे हट गये। गाँधी ने नेहरू को प्रधानमंत्री बनने का कारण यह बताया था कि यदि उनको प्रधानमंत्री न बनाया गया, तो वे रूठकर कांग्रेस से अलग हो सकते हैं और कांग्रेस और देश का नुकसान कर सकते हैं। इससे स्पष्ट है कि वास्तव में नेहरू ने गाँधी और कांग्रेस को ब्लैकमेल किया था।
अब जरा देखा जाये कि देश की आजादी के आंदोलन में नेहरू का क्या योगदान था। कांग्रेस के आन्दोलनों का इतिहास बताता है कि हर आन्दोलन में नेहरू सबसे आगे रहकर सबसे पहले जेल चले जाते थे। बस यही उनका योगदान था। वे सबसे पहले जेल जाकर हीरो बन जाते थे। जेल में वे ए क्लास की सुविधायें भोगते थे और पार्टी के बाकी लोग अंग्रेजों की लाठियाँ और अत्याचार सहन करते थे। नेहरू के लिए जेल यात्रा पिकनिक से कम नहीं थी। उन्होंने आजादी के लिए कभी कोई कष्ट सहन नहीं किया, लेकिन सौदेबाजी करने और सत्ता की मलाई चाटने में सबसे आगे रहे। लेडी माउंटबेटन से उनका प्रेम प्रसंग था। उनके माध्यम से उनका लार्ड माउंटबेटन पर प्रभाव था, जिसका उन्होंने पूरा फायदा उठाया और सफल सौदेबाजी में सत्ता हथिया ली।
नेहरू ने प्रधानमंत्री बनने के बाद देश का जो बेड़ा गर्क किया, उसे सब जानते हैं। उनकी ‘योग्यता’ का सबसे बड़ा सबूत कश्मीर आज भी हमारा सिरदर्द बना हुआ है। सरदार पटेल ने 542 रियासतों को एक कर डाला, लेकिन केवल एक मामला (कश्मीर का) नेहरू ने जबर्दस्ती अपने हाथ में रखा, और उनकी नालायकी देखिए कि वही लटक गया और आज तक लटका हुआ है। अगर कश्मीर का मामला भी सरदार पटेल के हाथ में होता, तो कब का हल हो गया होता। नेहरू ने अपनी मूर्खतापूर्ण नीतियों से देश का जो अपमान कराया और विकास के नाम पर विनाश का बीज बोया, उसकी चर्चा आगे की जाएगी।
मूर्खात्मा गाँधी ने पोंगा पंडित नेहरू जैसे अयोग्य व्यक्ति को बलपूर्वक प्रधानमंत्री बनाकर देश की जो कुसेवा की, उसका फल हम आज तक भोग रहे हैं और कौन जानता है कब तक भोगेंगे।

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